ये एक काल्पनिक कहानी है..जिसको बहुत सारी कहानियों से मिलाकर बनाया गया है..!!
शुरूआती दृश्य -
एक नौकरानी बड़े घर में झाड़ू- पोछा कर रही है..और उस घर का मालिक सुबह 7 बजे ही घर में शराब पी रहा है.. वो भी बेहिसाब तरीके से..!
नौकरानी को ऐसा देखते हुए कई वर्ष हो गये थे, पर साहब के गुस्सैल और एकान्त प्रिय स्वभाव की वजह से आजतक उसने इस बारे में कुछ नहीं पूछा!
वो नौकरानी एक गरीब परिवार की थी..अपना घर चलाने के लिए वो लोगों के घरों में काम करती थी..उसके पति की ५ वर्ष पहले टीबी की वजह से मौत हो गई..बुजुर्ग सास ससुर और दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी के बोझ ने उसे लोगों के घरों में काम करने को मजबूर कर दिया था !
वो एक काम में दक्ष महिला थी, कभी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं..सिर्फ घरों का काम करती और पहली तारीख को पैसे ले जाती..वो ना तो साहब लोगों से बात करती ना किसी की जिन्दगी में ताक झांक करती..
पर इस आदमी की लगातार खराब होती हालत देखकर उसने एक दिन पूछने के बारे में सोच ही लिया..
पर रवि कुमार नाम का व्यक्ति सबके लिए एक पहेली बना हुआ था..क्योंकि ये एक ऐसे व्यक्तित्व का पुरूष था जिसको सुबह उठते ही शराब चाहिए..बिना शराब पिये वो एकदम मरा हुआ सा लगता..ना हँसता ..ना बोलता..बस चुपचाप कुछ सोचता रहता था..मानो किसी और जमाने में लौट गया हो..
रवि एक 28-30 वर्ष का युवा व्यक्ति था.. पर बुरी तरह शराब पीने की वजह से उसकी उम्र 50 पार लगती थी..लगातार खाँसता रहता था..और खाना तो बस जिन्दा रहने के लिए ही खाता था..
रवि उस सुबह शराब पिए जा रहा था..हमेशा से कुछ ज्यादा ही पी रहा था..शायद उस दिन कुछ हुआ था जो उसे याद आया..उससे अपने होश नहीं संभल रहे थे..
ये हालत देखकर नौकरानी सविता से रहा नही गया.. और आज उसने पहली बार दबी आवाज में पूछ ही लिया "साहब, आप इतनी शराब क्यों पीते हो..इससे आपका जीवन लगातार खराब हो रहा है..मैं रोज यही देखती आ रही हूँ..पर आज तक इसका कारण नहीं जान पाई कि आप क्योंं इतनी शराब पीते हो..मैने अपने पति को खोया है..किसी अपने को खोने का दर्द झेला है..आपका भी कोई अपना होगा..उसपर क्या बीतेगी..सोचिये.."
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रवि ने सविता की बात चुपचाप सुन ली..वो कहीं खो गया था..धीरे-धीरे उसके चेहरे के भाव बदलते रहे..पहले वो मुस्कुराया..फिर जोर से हँसा..फिर थोड़ा उदास हुआ..फिर उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया..
तभी बोतल के फूटने की जोरदार आवाज उस बड़े से बंगले में गूँज जाती है..
और नौकरानी सविता का सर खून से भर जाता है..
रवि ने गुस्से में आकर शराब की बोतल सविता के सर पर दे मारी..
फिर उसने पास में पड़ा हन्टर उठाया और सविता को बुरी तरह मारने लगा..वो चिल्ला रही थी की साहब गलती हो गई , फिर कभी नहीं पूछूंगी..
पर रवि के सर पर एक अलग तरह का गुस्सा ही सवार था..पता नहीं कौनसा गुस्सा उतार रहा था वो..
सविता की हालत मरने जैसी हो गई..
सविता चिल्ला रही थी..साहब छोड़ दो ..मत मारो..दुबारा ये गलती नहीं होगी..मैं मर गई तो मेरे बच्चे अनाथ हो जायेंगे..वो भूखे मर जायेंगें..
ये सुनकर रवि को सविता के दो छोटे बच्चों का ख्याल आया..जिन्हे वो एक बार रवि के घर लायी थी..बच्चों को बड़ा घर दिखाने..
रवि को वो दिन याद आया..उस दिन रवि बच्चों की नादानियां और बचपना देखकर बहुत समय बात मुस्कुराया था..
उसने सविता की तरफ बढते अपने कदम रोक लिए..
वो वहीं बैठ गया घुटनों के बल..उसकी आँखे भर आयी थी..
सविता एक कोने में बैठी रोये जा रही थी..
रवि उठा..सविता को जल्दी गाड़ी में बिठाया और पास के बड़े अस्पताल ले गया..
रवि की सारी शराब का नशा एक पल में काफूर हो गया था..सविता की बुरी हालत देखकर डॉक्टर ने कहा कि इन्हें जल्दी ICU में ले जाना होगा..खून बहुत बह चुका है..आप खून का इंतजाम कीजिए..
रवि ने सविता के परिवार वालों को फोन कर दिया..वो आये..सविता ICU में थी..सर पर लगी चोट गहरी थी..
डॉक्टर ने कहा कि खून चढाना होगा उन्हें जल्दी..
सबने अपने खून के नमूने जाँच के लिए दिए..सास-ससुर का खून का प्रकार सविता से अलग था..पर रवि का खून AB+ था..वो मिलान कर गया था..
रवि ने ICU में कदम रखे..और डॉक्टर ने खून की ड्रिप रवि के हाथ में लगा दी..और दूसरी तरफ सविता के भी लगा दी..
ऑपरेशन शुरू हुआ..सर से काँच के टुकड़े निकाले..टाँके लगाये..पट्टी बाँधी..और कहा इन्हे दो तीन घंटे में होश आ जायेगा..
रवि वहीं पास के बेड पर पडा था..
2:30 घंटे बाद सविता को होश आया..रवि पास के बेड पर चुपचाप पड़ा था..कुछ सोच रहा था..
सविता के उठते ही रवि ने उसके सामने हाथ जोड़े..और अपने किये की माफी मांगी..
सविता ने अपनी दबी आवाज में पूछा..साहब इतना गुस्सा..इतनी आग क्यों..
रवि ने बताना शुरू किया..
"पता है सविता..आज के दिन ही मैंने उसे पहली बार देखा था..उससे बात करी थी..
वो.......... सीमा ...
मेरा सैकेंडरी स्कूल का पहला दिन था.. पहला कदम रखते हुए जैसे ही मैने नजरें उठाई..वो ठीक मेरे सामने खड़ी थी..लम्बे घने बाल..जिनकी दो चोटियाँ बनी हुई थी..कजरारी आँखें..एक 10-12 साल की एक भोली सूरत वाली प्यारी सी लड़की..जिसको देखने के बाद..बस देखता ही रह गया..देखता ही रह गया..
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क्लास में जैसे ही घुसा...वो मेरी ही क्लास में बैठी थी..
दो हिस्सों में बंटी वो सरकारी स्कूल की छठी क्लास..जिसमें सब बच्चे जमीन पर फटी हुई दरी पर बैठे थे..
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पहला दिन था..सब एक दूसरे से जान-पहचान बना रहे थे..
एक लड़कियों की टोली बन गई..और एक लड़कों की टोली बन गई..सीमा लड़कियों की टोली की लीडर थी..
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कुछ दिन यूँ ही एक दूसरे को देखते देखते ही बीत गये..
एक दिन सीमा क्लास की मॉनिटर बनी..और लड़कों की टोली के कुछ लड़कों के आपस में बात करने पर उसने सब लड़कों का नाम बोर्ड पर लिख दिया..
सबसे आखिरी नाम था...रवि कुमार...
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मैं उस दिन अपनी पढाई में व्यस्त था..फिर भी उसने मेरा नाम क्यों लिखा?..मुझे उस दिन गुस्सा आया..मैं उसी वक्त उठा और सीमा से पूछा: तुमने मेरा नाम क्यों लिखा? मैं तो चुपचाप अपना काम कर रहा हूँ..
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.वो थोड़ा झेंप गई..उसने अपनी धीमी सी आवाज में सिर्फ इतना कहा कि मुझे माफ कर दो..गलती हो गई..
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तब शुरू हुई तकरार का सबको पता चल गया..
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पर कहतें है ना "नफरत प्यार की पहली सीढी होती है"..
कक्षा के सब लड़कों और लड़कियों ने हमारी दोस्ती करने में बहुत मदद करी..
उस छोटी सी तकरार ने हम दोनो के बीच दोस्ती करवाने में अहम भूमिका निभाई.
उस दिन के बाद हम दोनो कक्षा में पास में बैठने लग गये..लंच में दोनो साथ खाना खाते..टीचर की डाँट भी साथ में बाँटकर खाते..
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पर एक दिन..
रवि स्कूल नहीं आया था और उसी दिन
सीमा की एक कक्षा की लड़की से लड़ाई हो गयी..उसने जाकर स्कूल के हेडमास्टर से सीमा और रवि की शिकायत करदी..अपनी तरफ से लाग-लपेट लगाकर..
हेडमास्टर एक अच्छे व्यवहार वाला आदमी था..पर पता नहीं उस दिन उसको इतना गुस्सा क्यों आया..पहले इतने गुस्से में उसको कभी नहीं देखा था..
वो सीधा सीमा की कक्षा में गया..उसने बीच कालांश में सीमा को बाल पकड़कर उठाया..और घसीटते हुए सीमा को स्कूल की सार्वजनिक चौकी पर ले आया..पूरी स्कूल के सामने उसने सीमा को बुरी तरह मारा..पेड़ से बाँधकर अपने बेल्ट से सीमा की बुरी तरह पिटाई कर दी..कोई उसे रोकने की हिम्मत नहीं कर पाया..बच्चे सब डरे-सहमें देख रहे थे..और सारे अध्यापक वहाँ मूकदर्शक बने हुए थे..सबको अपनी तनख्वाह और नौकरी की चिन्ता थी..सब यही सोच रहे थे कि भला एक लड़की के लिए हम हेडमास्टर से क्यों उलझें..
ऐसा लग रहा था कि उस दिन मानवता कहीं खो गयी थी..
हेडमास्टर ने सीमा को मार-मारकर अधमरा कर दिया..और तब तक मारता रहा जब तक उसके हाथ ना थक गये..
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उसके बाद उसने सीमा का बस्ता मंगवाया..और उसको स्कूल के बाहर फेंक दिया..ये कहते हुए कि कल अपने परिवार वालों को साथ लेकर आना..
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रवि को ये बात पता चली..उस छोटे से बच्चे का खून खौला..पर वो कर भी क्या सकता था..
अगले दिन वो सुबह 6बजे ही स्कूल पहुँच गया था..दरवाजे के आगे बैठ गया..
8बजे स्कूल का दरवाजा खुला..प्रार्थना सभा होने से पहले ही रवि को हेडमास्टर ने ऑफिस में बुला लिया..
ऑफिस में एक तरफ रवि के पापा बैठे थे और सामने की तरफ सीमा के पापा और भाई बैठे थे, वहाँ का माहौल बेहद तनावपूर्ण लग रहा था..स्कूल के लगभग सारे कर्मचारी भी ऑफिस में ही बैठे थे..दोनो परिवारों के गुस्से में तमतमाते उनके चेहरे देखकर रवि का डर के मारे बुरा हाल हो रहा था..
रवि के अन्दर आते ही उसके पापा ने उसकी धुनाई शुरू कर दी..उसको मार खाते देखकर इस बार स्टाफ की इंसानियत जागी (या कहें तो इस बार उन्हे नौकरी से हटाये जाने का डर नहीं था) ..
रवि के पापा एक मामूली मजदूर थे..उसके घर की आर्थिक दशा कुछ अच्छी नहीं थी..रवि के पापा की उससे बहुत उम्मीदें बंधी हुई थी..वो उसे पढा-लिखाकर एक बड़ा आदमी बनाना चाहते थे..पर रवि के बारे में ऐसा कुछ सुनके उनको गहरा धक्का लगा..वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकते थे..
सीमा के पापा जो एक बैंक मैनेजर थे..अच्छी पहुंच वीले और पैसे वाले थे..सीमा से बिल्कुल उल्टा व्यवहार था..पैसे और ताकत का जोर दिखाने वाले आदमी थे..
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उन्होने हेडमास्टर को कहा: आज के बाद मुझे ये लड़का इस स्कूल के आस-पास भी नजर नहीं आना चाहिए..
और सुन ओए छोकरे, आज के बाद सीमा के आस-पास नजर आया तो खानदान उजाड़ दूंगा.."
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रवि के पापा ने दबी आवाज में कहा: "गलती हो गई साहब...माफ कर दीजिए..आज के बाद ये आपको नजर नहीं आयेगा..
हेडमास्टर जी आप स्कूल से इसका नाम काट दो..(ये कहते कहते उनकी आंखे भर आयी थी )
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सीमा अपने पापा के पीछे खड़ी-खड़ी सुबक रह थी..पर उसके भाई की गुस्से वाली लाल आँखे देखकर उसने अपनी गर्दन धीरे से नीचे की ओर कर ली..
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तभी रवि के पापा अपनी जगह से उठे ..रवि का हाथ जोर से पकड़ा ..और स्कूल से निकल गये..
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रवि ने ऑफिस से निकलते समय सीमा की तरफ देखा..उसी समय सीमा भी उसकी तरफ देख रही थी..दोनो एक दूसरे की तरफ एकटक देख रहे थे बिना पलक झपकाये..वो दोनो नजरों-नजरों में एक दूसरे से बात कर रहे थे..
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सीमा अपने पापा की ओट से निकलकर ऑफिस के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई.. ऐसा लग रहा था कि उसके मन में बसा पिता का डर कुछ समय के लिए खत्म हो गया था..
वो जाते-जाते रवि को मन भरकर देखना चाह रही थी..
रवि अपने पापा के जोर के बावजूद पीछे मुड़कर देखे जा रहा था..
नजरों-नजरों में होने वाली वो बातचीत स्कूल के मुख्य दरवाजे पर जाकर खत्म हो गई . . . . . . . . वो दोनो खूब रोये..आज रवि भी रोया..
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अब इसके बाद क्या होगा.. रवि और सीमा का..
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वो मैं अगले भाग में लिखूंगा...क्योंकि आज हिंदी दिवस है इसलिए अपनी कहानी का पहला भाग आज ही जारी कर रहा हूँ...ज्यादा कुछ नहीं कहना..
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हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं..
हिन्दी पढें ताकि हिन्दी बढे..
आपकी राय आमंत्रित है....
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