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लीजिए....अचानक से दोबारा उत्पन्रन हुए और निर्भया के माता-पिता आशा देवी और बद्रीनाथ जी के संघर्ष, कोशिश और उम्मीदों, प्रयासों के कारण पैदा हुए राजनीतिक और जनदबाव की वजह से सरकार Juvenile Justice Bill ले तो आई पर शायद कुछ अफरा-तफरी सी नजर आ रही है इसमें..पता नहीं कहाँ आग लगी है..पास कराने की जल्दी में ना तो इन गंभीर अपराधों की जड़ में देखा जा रहा है ना सही तरह से इस तरह के जघन्य अपराधों से समाज को बचाने के उपायों की तरफ ध्यान दिया जा रहा है..ताकि देश मे किसी भी लड़की को दूसरी निर्भया कहने की नौबत ना आये.. हालांकि मेरी सोच इतनी नाउम्मीदी और नकारात्मक नहीं है ..पर स्वतंत्र तौर पर लिखकर अपना नजरिया रखने की कोशिश कर रहा हूँ..क्या पता माननीया बाल विकास मंत्री श्रीमति मेनका गाँधी जी या फिर हमारे Technocrat और Social Media King माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, मेरा ये ब्लॉग पढकर मेरी राय पर कोई निर्णय ले लें और मेरा जिक्र अपने "मन की बात" में करदें..क्या पता..खैर छोड़िये मुद्दे पर आते हैं.. यह मानने में कोई दिक्कत नहीं है कि जिस दिन से निर्भया के नाबालिग अपराधी की रिहाई की ख