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वेंटिलेटर पर पड़ी पत्रकारिता पर पत्रकारों को खुला ख़त

प्रिय पत्रकारों, एक आम भारतीय के नाते आप सबसे बात करनी है, इसलिए आप सबको एक खुला पत्र लिख रहा हूँ, क्येंकि हमारी मीडिया आज के एक बहुत बुरे संकट के दौर से गुजर रही है, और उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए हम सब को आगे आना पड़ेगा. हमारी मीडिया अपने असली कर्तव्य और खोजी पत्रकारिता को कहीं रखकर भूल गई है, वो जनता और सरकार के बीच के पुल बनने के बजाय खाई बन रहें हैं. वो ना तो आज सरकारी आँकड़ों का एनालायसिस करतें हैं, ना ही किसी सरकारी योजना का सही ढंग से विश्लेषण करते दिखते हैं, ना ही खुद मेहनत करके कोई खबर ढूँढते हैं. आज खबर को ढूँढने का समय कहाँ है हमारी राष्ट्रवादी मीडिया के पास, उन्हें इंद्राणी, हनीप्रीत, रितिक-कंगना जैसी "महत्वपूर्ण और देशहित" की खबरों से फुर्सत मिले तब ही तो ऐसा कुछ करेंगें. मीडिया और विपक्ष आजादी के बाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रहें हैं, और जब तक उन्हें एहसास होगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. मसलन GST को लागू हुए आज 100 दिन पूरे हो गये हैं, जहाँ मीडिया को ये करना चाहिए था कि वो जमीनी स्तर पर जाकर इसकी खामियाँ ढूँढती और सरकार को उन खामियों से अवगत करा